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Showing posts from 2020

जवाब दो तो जानू - एक सवाल

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एक सीमा नाम की लड़की ने एक ई-मेल पत्र का प्रिंटआउट दिखाते हुए पुलिस ऑफिसर से कहा कि सर मुझे अन्नी नाम के एक लड़के ने 14 फरवरी 1993 वैलेंटाइन-डे के दिन जिस समय दिल्ली स्थित स्कूल में मेरी इंग्लिश की क्लास चल रही थी, तब उसने मुझे भेजा था, और उसने मुझे जबरदस्ती प्रेम की धमकी दी। मैं उसके खिलाफ FIR दर्ज कराना चाहती हूं। तो क्या पुलिस ऑफिसर उसकी FIR दर्ज करेगा?  कारण के साथ सही विकल्प का चयन करें। A. उस दिन लड़की स्कूल नहीं आई थी B. लड़की के पास सबूत फर्जी है C. लड़की लड़के को फंसाना चाहती है D. उपरोक्त सभी   करण बताओ .......................................

भीख या मदद ? | Child Beggar in India | इंसानियत को शर्मसार करती एक कहानी

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कहानी एक बच्चा सड़क के किनारे भीख मांग रहा था, और इस कहानी का लेखक चाय की दुकान पर बैठा उसे देख रहा था। लेखक के इस तरह लगातार देखने पर बच्चे की निग़ाह उस पर पड़ी, तो वह थोड़ा मुस्कुराता हुआ लेखक की ओर बढ़ा और कुछ ही दूरी पर आकर खड़ा हो गया। लेखक ने उसकी तरफ देखा और थोड़ा वह भी मुस्कुराया, तो इस पर बच्चे की थोड़ी हिम्मत बढ़ी और वह बोला- साब कुछ दो ना। इस पर लेखक ने पूछा! क्या खाओगे? बच्चा   : कुछ नहीं साब! बस आप मुझे कुछ पैसे दे दो। लेखक : क्यों? भूख नहीं है! बच्चा   : है तो, लेकिन लेखक : बोलो-बोलो क्या बात है? बच्चा   : साब, मुझे दिन में एक ही वक़्त खाना खाने को कहा गया है। लेखक : आश्चर्यचकित होते हुए! क्यों मम्मी खाना नहीं देती? बच्चा   : नहीं, ऐसा नहीं है, सा...ब। लेखक : तो फिर क्या बात है? बच्चा   : वो......... कुछ नहीं साब लेखक : घबराओ मत। बोलो! बच्चा   : मेरे माता-पिता नहीं है, साब लेखक : औह गॉड! फिर आप रहते किसके साथ हो? बच्चा   : मेरे एक मुंह बोले अंकल है। वही मुझे अपने घर पर रखते हैं। लेखक : उन्होंने आपको स्कूल नह...

उनकी शायरी | Unki Shayari | Best Sher ever from Diwan E Satyam

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चल ले चल हाथ पकड़ कर मुझको दर खुदा के काफि़र था मैं जो बेखुदी में सज़दा उसे किया हर ख़्वाहिश मेरी दिल में ही पलती रही हर रोज़ ज़िदगी भी बस उम्मीद पे चलती रही मत पूछ मेरी दास्तां ए ग़म मुझसे मैं बेवजह किसी के आंसू गिराना नहीं चाहता कई शाम हमने चरागों को देखा है देर तक कभी टिमटिमाते हुए कभी मुस्कुराते हुए जिंदगी है कांटो की राह फूल भी मिल सकते हैं कहीं चलता जा-चलता जा दिल में यही आश लिए मालूम है घर की दहलीज़ उन्हें लेकिन ज़िद पे अड़े हैं कोई उनको पुकार ले कल रात तेरी याद ने कुछ इस कदर सताया के आज सुबह हम देर तक सोए _________________________ वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/cLf3GQPHEz8

चार लाइन वाली शायरी | Chaar Line wali Shayari | Best Sher ever (Diwan E Satyam)

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ए इलाही मुझपे इतना तो करम कर ना दे सज़ा बेजुर्म बेबस पे रहम कर । फक़त प्यार में डूबा हूं कोई गुनाह नहीं है नाम तेरा ही दूजा इतनी तो शरम कर ।। नामुमकिन सपने झूठा उनका प्यार दिया धोखा खाया जो उन पर ऐतबार किया । तू जानता था ए खुदा वो मेरी किस्मत में नहीं फिर क्यों मजाक ऐसा मेरे साथ किया ।। हवा को रुख मौसम को रंग बदलते देखा चूर दिल को शोलें सा जलता देखा । गिर जाता है जो इक बार इश्क की राह में नहीं फिर उसको 'सत्यं' सम्भलते देखा ।। प्यार का एहसास खुद में विश्वास दर्द दिल में क्यों उनका दिया । तू जानता था खुदा वो मेरी किस्मत में नहीं फिर क्यों मज़ाक ऐसा मेरे साथ किया ।। हर तरफ फिज़ा में तेरा नाम लिखा है मेरे लिए मोहब्बत का पैगाम लिखा है । मिटा ना देना ये गुज़ारिश है दोस्त मैंने दिल के हर कोने में तेरा नाम लिखा है ।। हर तमन्ना मेरी मचलती है बातें साया बनकर चलती है । सुलगता है दिल मेरा घनी ज़ोर से जब तेरी यादों की हवा चलती है ।। ए खुदा ये हसरत मेरी साकार तू कर दे उनके दिल में मेरी तड़प का एहसास तू कर दे। जल उठे उनका दिल भी याद में मेरी इस कदर कोई करामात तू कर दे ।। _____________________...

Best Sher ever (Diwan E Satyam)

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तेरी तस्वीर में और तुझमें इतना ही फ़र्क है तू रूबरू होती है तो दो बात होती हैं तुम सज़दा करो उसे लिहाज़ ना हो ग़र ये मुमकिन है फिर कैसे किसी बुत को तुम खु़दा बनाते हो फट चुका पन्ना ए ऐतबार किताबे-उल्फत से टूट चुकी कलम जो किसी की शान में लिखती थी गुजरा किए हम राह से यह ख़्वाहिश लेकर रोज़ आज तो किसी सूरत उनसे मुलाक़ात होगी कुछ इस क़दर उलझा दराज़ मुसीबत 'सत्यं' के लोग मुझें दीवाना समझ बैठें तुम भी तोड़ दो दिल मेरा जाओ खुश रहो दर्द में ही पला हूं अब एहसास नहीं होता शायद मिल रही है सज़ा मुझे उस कुसूर की तोड़ा था मैंने दिल एक बेबस ग़रीब का __________________________________ वी डियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/OjK-0bptRac

अंबेडकर साहब के परिनिर्वाण पे शायरी | Baba Sahab Ambedkar Ji ki Shayari

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खुदगर्ज़ बड़े हैं लोग जो एहसान भूल गये हर कौम की ख़ातिर दिया जो बलिदान भूल गए आंधियों से गुज़ारिश है अपनी हद में रहें बाबा साहब की क्या आंख लगी औकात भूल गए वो शख़्स हमें सदियों की मिसाल दे गया संविधान रचा और समता की मशाल दे गया नींद से उठा था एक फ़रिश्ता तूफ़ान की तरह और सारी बलाओं को अपने साथ ले गया मेरी उस निशानी को तुम अपनी जान समझ लेना हिफ़ाजत करना उसकी अपना ईमान समझ लेना क्यों रोते हो मेरे बच्चों मैं गुज़रा नहीं अभी तक ग़र संविधान ही बदल जाए तो मुझे बेजान समझ लेना कुछ फ़रिश्ता कहते हैं कुछ मसीहा कहते हैं यहां सब के अपने बड़प्पन हैं बड़प्पन में रहते हैं छुपकर भी ना छुपने वाला वो सूरज ऐसा उगा जिसको अदब से दुनिया वाले बाबा साहब कहते हैं हर साज़िश को उसने दुश्मन की नाकाम कर दिया जो भी आ गया पनाह में उसे माफ़ कर दिया ना शमशीर, ना भीम ने उठाया ख़ंजर बस इल्म की ताकत से सब इंसाफ़ कर दिया तेरी नापाक साज़िश को, इरादे को समझ रखा है बड़ी ग़लतफ़हमी में है जो हमें ख़ाक समझ रखा है हमने ज़िगर में उतारी है तस्वीर 'बाबा साहब' की यूं ही बातों में मिटा दोगे कोई मजाक समझ रखा है मुद्दतों से हमारी उलझनों को साफ़ क...

डॉ. अंबेडकर साहब के 15 नाम | 15 Names of Dr. Ambedkar

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 जय भीम सच्चा अंबेडकरवादी बाबा साहब के इन 15 नामों को आगे अवश्य शेयर करें| बाबा साहब संविधान निर्माता राष्ट्र निर्माता नारी मुक्तिदाता महाबोधि सत्व युग प्रवर्तक महामानव युगपुरुष आजीवन विद्यार्थी प्रकांड पंडित कलम का बादशाह एकता दाता समता दाता भारत भाग्य विधाता ज्ञान का प्रतीक

Comedy Shayari | व्यंग शायरी

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  मैं तेरा सिर अपने कांधे पे तो रख लूं पर क्या करूं तेरी ज़ुल्फ़ों में जूं बहुत है यह एहसान कर दे कहना मान ले मेरा कहीं डूब मर जाके के मुंह दिखे ना तेरा शे'र तो मैं मार दूं तकरार से डरता हूं कभी सज़ा ना दे दे मुझको सरकार से डरता हूं वो एक हसीं ना, दूसरी हंस गई मैं पटा रहा था तीसरी को, चौथी पट गई यह सच है दोस्तों ख़ुदा सबसे बड़ा है वरना सिकंदर जैसे शाह बुखार से ना मारे जाते इतना सूख गया हूं तेरी बेवफ़ाई से के बस जी रहा हूं हकीम की दवाई से आज मुझे भी बीवी की जरूरत महसूस हो गयी आज रोटियां चूल्हे पे खुद सेकी मैंने तेरा प्यार हमको इस मुकाम पे ले आया ना नौकरी ना पेशा किराए के मकान में ले आया तेरी बड़ी-बड़ी आंखों की क्या मिसाल दूं लगता है तू किसी कार्टून कैरेक्टर की बहन हो जैसे

Maa Baap Shayari

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मेरी बदनसीबी ने ख़ाक में मिला रखा था मुझें वो ख़िज़ां के मौसम की आंच दिल में दफ़न है फिर भी छूते रहें क़दम मेरे क़ामयाबी की मंज़िल ये मेरी मां की दुआओं का असर है मेरा दिल गवाही ये बार-बार देता है जब है पिता सलामत तो चाहत नहीं ख़ुदा की इस मतलबी दुनिया में कोई सहारा ना मिला वो मां थी जो मरने के बाद भी मेरे काम आई आ मेरे जिग़र के टुकडे तुझे आंखों में बसा लूं तूने चलना भी नहीं सीखा और दरिया सामने है तेरे ______________________ वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/UcOdA45dKXc

जिंदगी शायरी । Unki Shayari

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हर किसी के रुतबे में थोड़ा फ़र्क होता है कोई उन्नीस होता है, कोई बीस होता है मैंने जलाया है यह चिराग तेरी सलामती के वास्ते तू भी कोई काम ऐसा कर जिससे किसी को दुआ मिले मेरी इन खुश्क आंखों ने एक सदी का दौर देखा है कब्रिस्तान में लेटी लाशों का नज़ारा कुछ और देखा है उम्र-तजुर्बा-बदन नाज़ुक-नाज़ुक तेरा मत खेल पत्थर से चोट पहुंचेगी बहुत तेरी उम्र क्या है, हस्ती क्या है? कुछ नहीं दो पल की ज़िदगी है बस, ख़बर कुछ नहीं अब होगी तेरी रुसवाइयां महफिले-आवाम 'सत्यं' बेखुदी में बढ़कर उनका दामन जो थामा है हमसे ना पूछो इस दौर में कैसी गुजर रही है? जिंदगी बस यूं ही उतार-चढ़ाव में उलझ रही है __________________________ https://drive.google.com/file/d/17hAYayWGjf5zv2rDfBoG9ehr8hTngLBq/view?usp=drivesdk __________________ वीडियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/ceDMkPYDfhg

एक कलाम सत्यं के नाम | Ek Kalaam Satyam Ke Naam

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दुश्मन को भी नज़र ए इनायत देते हैं हम गुस्ताख़ी पे उसकी पर्दा गिरा देते हैं हम शर्मिंदा ही रहेगा जब भी सामना होगा इज्ज़त उसकी उसी की नज़रों में गिरा देते हैं हम जिनका दिल है घर मेरा वो दिल के अंदर हैं अभी और बहुत है चाहत ऐसे दीवानों की पैदाइशी शौक है ख़तरों से खेलना होता रहे सामना सो मोहब्बत कर ली इन दिनों गर्दिश में है सितारे अपने वरना एहसान बांटे हैं बहुत खै़रात में हमने रौनक ना देखिए मेरी सूरत की ए जनाब मेरे गम को छुपाने का राज़ है ये मत पूछ मेरी दास्तां-ए-ग़म मुझसे मैं बेवजह, किसी के आंसू गिराना नहीं चाहता झूठ नहीं कहता कईं मोहब्बत मैंने की हासिल की उम्मीद ना रखी बस दिल तक ही रही मुकद्दर ही मेरा खराब है शायद वरना खुशनसीब वो हैं जो उनके करीब हैं मैंने कसम उठाई थी ना गुनाह करने की मालूम ना था, लोग मोहब्बत को जुर्म समझते हैं इक दिल-दरिया को नाज़ था अपनी रवानी पे ठहराव मेरे समंदरे-ग़म देखा शर्मसार हो चली क्या सुनाए तुमको दास्ताने-दिल जीये जा रहे हैं ख़्वाहिशों के सहारे कोई पूछ बैठा के ग़ज़ल क्या है? मैंने इशारों में, अपने दिल के राज़ खोल दिए पूछकर गुज़री दास्तां 'सत्यं' एक शायर को रुला देन...

माता, पिता व संतान कौन है महान? | Mother, Father and Child

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माता (मां) - जननी जो कि अपनी संतान को 9 महीने तक गर्भ में रखती है और उसे सहती है, को जन्म देकर उसका पालन पोषण करती है। मां के बगैर अभी तक संसार में जीवोउत्पत्ति करना संभव नहीं है। स्त्री का जन्म ही मां बनकर संतान उत्पत्ति करने हेतु हुआ है, ताकि श्रृटि का संचालन होता रहें। 9 महीनों तक संतान को गर्भ में रखने का कष्ट ही मां को यह उच्च पद दिलाता है।  पिता (बाप) - एक पिता स्त्री एवं संतान की आवश्यकताओं को पूरा करता है। एक स्त्री को मां बनने का सौभाग्य पुरुष से ही प्राप्त होता है। संतान को उत्पन्न कराने में एक पुरुष का बहुत बड़ा योगदान होता है। अकेली मां ही इसमें शामिल नहीं है। पुरुष का योगदान ही स्त्री को मां कहने का दर्जा दिलाता है। पुरूष के बिना एक औरत कभी भी मां नहीं बन सकती, उसे मां बनने और खुद को साबित करने के लिए एक पुरूष की आवश्यकता पड़ती है। पूर्व में प्राकृतिक रूप से बच्चे  की उत्पत्ति शुक्राणु रूप में पुरूष के अन्दर ही होती। बाद में इसका स्थापन महिला के गर्भाशय में किया जाता है। इसीलिए यहां पिता का दर्जा माता से भी बड़ा हो जाता है।  संतान (औलाद) - संतान ही स्त्री-पुरु...

प्यार आखिर है क्या? | What is Love

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प्रकृति ने प्रेम को प्रत्येक प्राणी के अंदर जन्मजात बनाया है। कोई भी प्राणी इसे स्वतः सीख ही जाता है जिसे करने से उसे अत्यधिक संतुष्ट भी प्राप्त होती है। प्रेम इतना मधुर इसलिए बना है ताकि जगत में जीवोत्पत्ति निरंतर होती रहे। प्रेम का अंतिम चरण मिलाप ही होता है। यह एक स्वभाविक क्रिया है। यह विधान मनुष्य का अपना नहीं है। मनुष्य का मस्तिष्क तो सिर्फ ऐसे साथी का चुनाव करता है जो कि उसको संतुष्टि दे। यही वह कारण है जिसकी चाहत में वह दूसरों के प्रति आकर्षित होता है। संतान तो वह किसी के भी साथ पैदा कर सकता है लेकिन इसी बात को लोग आसानी से वासना बता देते है। और यदि उन्हीं लोगों की अपनी इच्छा पूछी जाए तो वे सहजता से इसे स्वीकार भी कर लेते हैं।  जिस ओर आप आकर्षित होते है, वहीं आपकी पसंद भी होती है। प्रेम की शुरुआत आकर्षण से ही होती है क्योंकि जब तक आप किसी व्यक्ति की ओर आकर्षित नहीं होंगे तब तक आप उससे प्यार कर ही नहीं सकते। प्यार करने के लिए जरूरी है कि वह तुम्हें पसंद हो और उसके लिए जरूरी है आप दोनों की सहमति। अधिकतर देखा यह जाता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी के संपर्क में रहता है, तो वह उसके...

यात्री विवाद | Passanger Quarrel

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एक बस में एक पति-पत्नी यात्रा कर रहे थे। उन्हीं के ठीक पीछे वाली सीट पर एक सज्जन भी उस बस में बैठे हुए थे।  पत्नी ने अपने पति के गले में हाथ डाला हुआ था और बातें करते खिल्ली मारते जा रहे थे।  कुछ ही दूरी तय करने के पश्चात अचानक झटके के साथ बस रुक जाती है। जिस कारण पीछे बैठे सज्जन का हाथ फिसलकर श्रीमती जी की पीठ से स्पर्श हो जाता है। फिर क्या! वह तुरंत पीछे मुड़कर देखती हैं और क्रोध में अपने पति से बोली कि- जी देखो! यह पीछे बैठा व्यक्ति मुझे छेड़ रहा है। पति को भी क्रोध आ गया। इस पर वह सज्जन बोला कि- इसमें मेरा कोई दोस्त नहीं है फिर भी मैं आपसे क्षमा याचना करता हूं। किंतु वह महिला ना मानी और उसको व्यक्ति को खरी-खोटी सुना डाली। बस में बैठे सभी यात्री उस सज्जन की ओर देखने लगे। अब सज्जन को भी गुस्सा आ गया और वह बोला कि- मेरा तो सिर्फ आपसे हाथ ही स्पर्श हुआ है किंतु आपके पति ने तो आपको पूरा जकड़ा हुआ था। इस पर महिला बोली कि- यह मेरे पति हैं, जैसा चाहे करें। महिला की ऐसी बात सुनकर उस व्यक्ति को और भी क्रोध आ गया और बोला कि- अरे पति है तो क्या दोनों शर्म गैरत हाथ में ले लोगे। दिखता नहीं...

तेरी मेरी शायरी | Teri Meri Shayari

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जिनका घर है दिल मेरा, वो दूर जा बैठे भला कैसे किसी अजनबी को, मैं पनाह दूं वो शख़्स ना समझा मेरे गहरे जज़्बात को दर्द छुपाना भी बहुत तजुर्बे के बाद आया कब छलक पड़े आंसू, ख़बर तक ना हुई सिसकी भी, जुबां से ना होकर गुज़री ना दे ग़मे-मोहब्बत की आंच मुझे जाने कितने शोलें दिल में बुझा दिए मैंने फूल असली भी हैं नकली भी दुनिया में अब फैसला सिर तुम्हारे सूरत पे मरो या सीरत पे मालूम होता ग़र ये खेल लकीरों का तो ज़ख्मी कर हाथों को तेरी तक़दीर लिख लेता ------------------------------------------------------- वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/xw5aPipiZo0

गलती किसकी है? | Galati kiski hai?

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एक बस स्टैंड पर रुकी और उसमें एक सज्जन प्रवेश करता है। वह टीटी को रु 10 देकर रु5 का टिकट मांगता है। टीटी पैसे खुले मांगता है मगर यात्री के पास खुले पैसे नहीं थे। उन दोनों में बहस हो जाती हैं। कंडक्टर- आप बस से उतर जाइए। यात्री- नहीं मुझे कहीं जल्दी पहुंचना है तो मैं क्यों उतरूं। कंडक्टर- मुझे जबरदस्ती करनी पडगी। यात्री- आपको यह हक नहीं बनता कि आप किसी यात्री को गाड़ी से उतार दो। कंडक्टर- मैं किसी बिना टिकट यात्री को उतार सकता हूं। यात्री- लेकिन मैं टिकट चाहता हूं, आप मुझे दो। कंडक्टर- आपके पास रु 100 का नोट है और मेरे पास खुले पैसे नहीं हैं। यात्री- इसमें मेरा क्या दोष है यह सब तो तुम्हें देखना चाहिए। फिर कुछ ही दूरी के बाद गाड़ी में टीटीइ चढ़ता है और टिकट जांच करता है। उस यात्री को बिना टिकट पाकर उस पर जुर्माना लगता है । यात्री- मेरे मांगने पर भी मुझे टिकट नहीं दिया गया तो इसमें मेरी कोई गलती नहीं। कंडक्टर- उन्होंने मुझे खुले पैसे नहीं दिए थे। यात्री- अगर किसी के पास खुले पैसे नहीं हैं, तो क्या वह यात्रा नहीं करेगा। इन सबके बाद भी टीटीइ नहीं माना और रु...

Diwan E Satyam | Best Shayari ever

मैंने मुद्दतों में आज आईना देखा लोग बदल गए मैं वैसा ही हूं, इतना देखा नज़रे अब भी उसकी तलाश में लगी रहती है मैं लोगों के बीच घिरा रहता हूं, ये राहगीरों पे टिकी रहती है आफताब अब उसके दरवाज़े की हिफ़जत करता है चांद घटा से निकले भी तो निकले कैसे? कुछ लोग जल्दबाजी में ऐसे कदम उठा लेते हैं पहचान बनाने के चक्कर में पहचान गवां देते हैं सुना है के प्यार आंखों में दिखाई देता है पर कैसे साबित करूं सच्चा है या झूठा है हम अपनी नींद से भी समझौता करने लगे इन सोए हुओं को भी जगाना जरूरी है

Best Sher | Diwan E Satyam

मेरे दुश्मन ही नहीं एक मुझको ग़म देते हैं अब तो इनमें सितमग़र तेरा नाम भी आने लगा कभी सिगरेट कभी शराब हर रोज़ नए तज़ुर्बें करता हूं तेरे ग़म में सितमगर अपने रुतबे से भी गिर गया मैं      अपने जज़्बात पे उसूलों सा क़ायम रहा मैं तुम क्या जानो मर-मरके ये रस्म निभाई है ना मदहोशी का ना सरगोशी का मौसम मुझे मिला ये कैसी ग़म की हवा चली हर पल खिज़ा-खिज़ा मिला मैं भी ख़्वाहिशों के शहर में तू भी ख़्वाहिशों के शहर में घर अपना बनाने चले हैं इस तपती हुई दोपहर में ये मेरा बांकपन, शोख़पन, सब कुंवारापन है पर ये शादीशुदा कह रहे हैं आवारापन हैं ____________________________ वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें : https://www.youtube.com/watch?v=VfN_0G8aeg0

आंबेडकर साहब की शायरी | Ambedkar Sahab Shayari

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जिसका कोई जवाब ना हो ऐसा कोई सवाल मिले वो राह दिखाती लोगों को जलती कोई मशाल मिले मैंने इतिहास के पन्नों को कईं बार पलटकर देखा बाबा साहब सी दुनिया में दूजी ना कोई मिसाल मिले इक बागबां सूखे पेड़ों पे लहू की बारिश करता रहा कतरा-कतरा उम्मीद की क्यारियों में भरता रहा सूरज भी थक के उठता है इक रात के बाद वो मसीहा हमारी खातिर दिन-रात इक करता रहा दिया ना खुदा ने जो इक इंसान दे गया मुस्कुराहट का अपनी वो बलिदान दे गया काल को दे दी कुर्बानी अपने लाल की बदले में हमें खुशियों का वरदान दे गया खुदाओं के शहर में वो खुदा से ज्यादा दे गया औरत को पिछडों को जीने का इरादा दे गया ये ब्रह्मास्त्र भी ऊंच नीच का कल टूट ही जाएगा वो जाते-जाते संविधान की मजबूत ढाल दे गया गुम अंधेरों में थी गुज़री ज़िंदगी मेरी अब सवेरों की राह पे मेरा सफ़र है खुल गए सब रास्तें जहां में मेरे लिए ये मेरे बाबा की हिदायत का असर है इक फ़रिश्ते ने अंधेरों में रोशनी कर दी बुझती मशाल में दहकती चिंगारी भर दी लिखकर किताबे कानून इंसानियत के मायने बदले पहनाकर लिबास बराबरी का इज़्ज़त ऊंची कर दी वो इमान बदलने की बात करते हैं समता का विधान बदलने ...

Diwan E Satyam | Best Sher ever | शेर

हम बेखुदी में जिसको सज़दा रहे करते कभी ग़ौर से ना देखा पत्थर का बुत है वो कईं मोड़ से गुज़रे राहे उल्फ़त में 'सत्यं' सोचा था मैंने यूं, आसानियां होंगी ना करते हम इतनी मोहब्बत उनसे मालूम होता ग़र वो मग़रूर हो जाएंगे उन्हें मालूम हो गया हमें सुकून मिलता है तो ज़ालिम हंसी भी अपनी दबाने लगे शायद आज मेरी दुआ रंग ला रही है मैंने तड़पते देखा है उसे किसी के प्यार में मैंने कसम उठायी थी ना ग़ुनाह करने की मालूम ना था लोग मोहब्बत को ज़ुर्म समझते हैं क्या खूब बख़्शी है ए ख़ुदा, ख़्यालों की नेमत तूने हर कोई जिसे चाहे, मोहब्बत कर सकता है ______________________________________ वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/pxV33VKu65Q

बेवफाई की दर्द भरी शायरी | Bewafai ki Dard Bhare Shayari

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यह कैसे मुकाम पे हम आ खड़े हुए तुम्हें दिल में बसाकर भी तन्हा से लगते हैं यह कैसी सज़ा मुझें वो शख़्स दे गया के क़त्ल भी ना किया और ज़िंदा भी ना छोड़ा कैसे निकालू दिल से बता तुझे सनम मैंने तो दर आये को भी गले लगाया है मत पूछ मेरी दास्तां ए ग़म मुझसे मैं बेवज़ह किसी के आंसू गिराना नहीं चाहता इस बार ग़ुनाह हमसे बड़ा संगीन हो गया उस बेवफ़ा पे फिर से हमें यकीन हो गया ग़र होती ख़्वाबों पे हुकूमत अपनी तो हर-शब तेरा दीदार मैं करता कईं मोड़ से गुज़रे राहे उल्फ़त में 'सत्यं' सोचा था मैंने यूं, आसानियां होंगी सुना है बिछुड़कर बढ़ जाती है मोहब्बत और वो तो ग़ैर के हो गए दो पल की जुदाई के बाद इक मुद्दत से ज़ुबां ख़ामोश है मेरी सोचा कह दूं हाले-दिल तड़प अच्छी नहीं होती ______________________________________ वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/ZK8ld6YDNPw

Best Sher ever | शेर

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चंद्र रोज़ हुए इस शहर की सहर मुझे भाती थी बहोत पर क्यों ना जाने आजकल मुझे शब से प्यार है तेरी याद आते ही दिल ग़मगीन हो जाता है अब तो इतना भी नहीं के तेरे नाम से हंस लूं मुझे खुद्दारी ने हाथ फैलाने ना दिया पर झुक गए सर कईं खुद्दार लोगों के उनकी मिशाल तुमको मैं किस तरह से दूं देखता है जो भी अजूबे आठ कहता है वो बेरुख़ी करते हैं मेरे दिल से जाने क्यु़ जिन्हें करीब से तमन्ना देखने की है ______________________________________ वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/rXYKWQo_3j4

शेर शायरी | Sher Shayari | 10 Best Sher ever | शेर

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जिनका दिल है घर मेरा वो दिल के अंदर हैं अभी और बहोत है चाहत ऐसे दीवानों की इक दिल-दरिया को नाज़ था अपनी रवानी पे ठहराव मेरे समंदरे-ग़म देखा, शर्मसार हो चली कोई पूछ बैठा के ग़ज़ल क्या है? मैंने इशारों में अपने दिल के राज़ खोल दिए तेरी उमर क्या है? हस्ती क्या है? कुछ नहीं दो पल की ज़िदगी है बस ख़बर कुछ नहीं मैं एक मुसाफ़िर हूं तेरी रज़ा की किश्ती का चाहे साहिल पे ले चल चाहे डुबा दे मुझें यह पैग़ाम आया ख़ुदा का मुहब्बत कर ले 'सत्यं' अब क्या कुसूर मेरा जो दिल उन पे आ गया एतबार कर पैग़ाम ए मोहब्बत जिसके हाथों भेजा वो क़ासिद भी कमबख़्त मेरा रक़ीब निकला _______________________________ वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/0lukkBgbLRY

क्योंकि अनाथ हूं मैं | Kyonki Anath Hoon Mein - कविता/Poem

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उठती नज़र, कई सवाल करती है झुकती है तो फैसला बढ़ाती है इंसान हूं मैं फिर क्यों ज्यादती मेरे साथ होती है? कुछ दोष नहीं बस इतना ही न तुम कहते हो, अनाथ हूं मैं खंजर से गहरे जो शब्द दिल चीरकर आर-पार जाते हैं झंझोते हैं आत्मा, सांस बोझिल करते हैं सबकी सुनता हूं, बेबस भी हूं कहीं होता कोई, लेता पनाह में ख़्वाब अधूरे रहते हैं और अनाथ हूं मैं कोई हाथ भी बढ़ा दे तो क्या कभी दिल से नहीं लगाता क्या दोष मेरा ही है बताओ इस पथ पर चले आने का दिया है साया खुदा ने तो इतराते हो और सहज ही कह जाते हो, अनाथ हूं मैं मैं जिज्ञासु हूं और मांग भी है क्यों सब मुझे सहना पड़ता है? सजा ही देनी थी तो बुरा क्यों बनाके? तूने बख्सा नहीं एक मासूम को भी, खुदा कुछ तो दया कर, करामात ऐसी कर कोई ना कहे मुझसे, अनाथ हूं मैं मैं यूं ही 'सत्यं' खुदा को दोष देता रहा नाम खुदा भी चंद लोगों के लिए है आने वाला है कोई सर पे हाथ रखने वाला हिम्मतवाला, उसकी आहट का एहसास है मुझे फिर एक 'बाबा' का धरती पे आना हुआ मंत्र 'समता' दिया कहा, कभी ना कहना अनाथ हूं मैं। ______________________________________ वीडियो देखने के ल...

Diwan E Satyam 10 Best Sher ever | शेर

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कोई ऐसी करामात ख़ुदा उसे भूल जाने की कर के याद भी ना रहू और इल्ज़ाम भी ना सर हो जो वक़्त हमने तेरी चाहत में गंवाया इबादत में लगाते तो ख़ुदा मिल जाता मुझे ज़िदगी ने ग़म के सिवा कुछ ना दिया तेरी उल्फ़त भी ज़ालिम कुछ ऐसी ही निकली हम छोड़ आए हैं तेरी याद साहिल पे ग़म के भंवर ने दिल घेरा है जब से पूछकर गुज़री दास्तां 'सत्यं' इक शायर को रुला देने का ख़्याल अच्छा है मालूम था वो मुझको चाहते हैं बेशुमार पर फ़ैसला ना दिल लगाने का कर लिया उसने दुश्मन को भी हम ख़ालिश मोहब्बत सज़ा देते हैं नज़रों में उसकी अपनी दीद शर्मिंदगी बना देते हैं इक रोज़ मुझे ख़्याल आया चल तुझको छोड़ दूं ये सोचकर मैं भी न तुझे ख़ुद में तोड़ दूं क्या करोगे तुम मेरा नाम जानकर बे-आसरा हूं कोई ठिकाना नहीं मेरा एक मुद्दत से ज़ुबां ख़ामोश है मेरी सोचा कह दूं हाल-ए-दिल तड़प अच्छी नहीं होती _______________________ वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/Zzlep7C0bpw

वो ज़माना और था | Wo Zamana aur tha | وہ زمانا اور تھا

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अब तो सरे-राह क़ायम होते हैं रिश्ते वो शर्मो-हया में डूबा ज़माना और था बस नुमाईश अदा होती है अब ख़ुदा परस्ती की गुमनाम उसकी राह में लुटाना और था इंसानियत में आजकल गरज़ नज़र आती है कभी इंसान का इंसान के काम आना और था वादों से मुकरने का 'सत्यं' रिवाज़ बन बे-फ़र्ज़ भी अंज़ाम का ज़माना और था आज भूल के वो खुद को झोली फैलाते हैं कभी खैरात बाँटा किए वो ज़माना और था कर काबू खुद पे के शमशीर हो या जबां कभी बात का बात से बन जाना और था   दे दो जगह उसूलों को सीने में संभल जा यह ज़माना और है, वो ज़माना और था _________________________________ वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें : https://www.youtube.com/watch?v=xHQau9xcCJo

10 शेर | Best Sher ever from Diwan E Satyam

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हर कोई रखता है ख़्वाहिश एक बार उनको देखकर के खुदा करे बार-बार अब उनकी दीद हो तमाम कोशिशें बेकार ही रही संभल पाने की जब डूब गए हम तेरी आंखों की गहराई में शायद मेरी हसीना मेरे सामने खड़ी है इक मौलवी ने कहा था वो मगरूर बड़ी होगी मुद्दत हुई उनके पहलू से जुदाई मेरी एक ज़माना था निग़ाह भरकर देखा किए नादां भी बड़ी-बड़ी चीज़ चुरा लेते हैं दिल के साथ-साथ नींद उड़ा लेते है हमने ही ना चाहा हासिल तुझे करना वरना दिल में ठान लेने से क्या कुछ नहीं होता मानकर उसकी बात मैं दूर चला आया पर तजुर्बा नहीं ज़रा ख़्वाहिशों को मिटाने का मेरे दुश्मन ही नहीं एक मुझको ग़म देते हैं अब तो इनमें सितमग़र तेरा नाम भी आने लगा __________________________________ वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/0GVkSM2JSLw

आखिर क्यों? | Aakhir Knon? - ग़ज़ल/Ghazal

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कल तक जो डाला था अपने प्यार का साया  आज मेरे जिस्म से सिकोड़ती क्यों हो? वादा किया था ये जां अमानत है तुम्हारी फिर आज अपने वादों से मुंह मोड़ती क्यों हो भरोसा दिया था हर मंजिल साथ जाने का बीच रास्ते में लाकर छोड़ती क्यों हो? जिसने लगाया गले से उसे मौत ही मिली ग़म से मेरा नाता तुम जोड़ती क्यों हो? मालूम है तुम्हें भी बहुत दर्द होता है मेरा दिल बार-बार फिर तोड़ती क्यों हो?

4 लाइन वाली शायरी | Best Sher ever (Diwan E Satyam)

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  वो रहे खुदा सलामत एहसान इतना कर दे दूर से ही सही दीदार का इंतज़ाम कर दे तू डाल दे ज़माने की खुशियां उनके दामन में बस सारे रंजो-ग़म एक मेरे नाम कर दे   फिज़ूल ही झुकाए कोई नज़रों को अपनी अनोखा अंदाज़ झलक ही जाता है कितना ही संभाले कोई जवानी का जाम मोहब्बत का कतरा छलक ही जाता है   तेरी सूरत हमने पलकों में छुपा रखी है बीती हर बात दिल में दबा रखी है तू नहीं शामिल मेरी ज़िंदगी में तो क्या तेरी याद आज भी सीने से लगा रखी है   कईं बहारें आई आकर चली गई मेरे दिल के आंगन में कोई गुल नहीं खिला हाले-दिल सुना सकता मैं जिसके सामने मुझको पहले आप-सा बस दोस्त नहीं मिला   मैं ज़िंदगी में थक के चूर हो गया हूं हालात के हाथों मजबूर हो गया हूं एक ख्वाहिश थी तेरे नज़दीक आने की पर किस्मत से बहुत दूर हो गया हूं   थामा है मेरा हाथ तो छोड़ ना देना रास्ता दिखा के प्यार का मुंह मोड़ना लेना तुम्हें देखता हूं मैं जिसमें सुबह-शाम मे रे विश्वास के आईने को तोड़ ना देना एक रोज़ मेरी ज़िंदगी में वो भी शरीक थी वो चाहत बनके मेरे दिल के करीब थी मैं समझा था मोहब्बत में मिलेंगे ...

एक हसीना | Ek Haseena - कविता/नज़्म/Nazm/Poem

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मुझको मिली इक हसीना वो जाड़े का था महीना उसने कसकर मेरा सीना कहां छोड़ जाना कभी ना मौसम भी था कमीना मुझको आने लगा पसीना  उसे आगोश में ले -यूं बोला "रज़ा कहो ना?" मेरे बाज़ुओं से ख़ुद को छीना और कहती रही अभी ना मेरा ज़वाब था - "तो फिर कभी ना" अब मौजों में था दिल शफ़ीना कश्मकश में थी वो हसीना यूं बोली - "मेरे दिलबर!" 'मुझे बाहों में ख़ुद लो ना' उसका शाने से लिपटकर रोना मैं भूल पाया अभी ना अब छोड़ घर का कोना उसे मांगूंगा जा मदीना   मुझको मिली एक हसीना... _____________________________ वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें :

Best Sher ever from Diwan E Satyam

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पूछता जो खुदा तेरी रजा क्या है तो सबसे पहले तेरा नाम मैं लेता कई बिगड़े मुक़द्दर मैंने संवरते देखें हैं बाखुदा अपनी मोहब्बत का साथ पाकर कितने नादान हैं वो हम पे मरते हैं बेरुखी को भी मेरी सादगी समझते हैं फुर्सत में तुम पे कोई नग़मा लिखेंगे कई बार तहे दिल से सोचने के बाद कई रात हमने आंखों में गुज़ार दी के तेरा ख़्याल आए तो दूजा ना हो कोई ख़्वाबों की दुनिया में तो जीना है मुमकिन कोई बात ऐसी कर जो हक़ीक़त बयां करें क्या दूं अब तुमको मिसाले-मोहब्बत किसी का आंखों को जचना ही प्यार होता है तेरे दीदार में कोई बात है शायद लड़खड़ाता है जिस्म मेरा इज़ाज़त के बिना कुछ इस कदर खोया हूं तेरी उल्फ़त में सितमगर कोई कर रहा हो तहे-दिल से खुदा की इबादत जैसे ____________________________________ वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/3bXT0W88Gcw

प्यार और आकर्षण | Love and Attraction - लेख/Article

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किसी भी लिंग का सामान व विपरीत लिंग के प्रति झुकाव प्यार या आकर्षण कहलाता है किंतु वैचारिक दृष्टि से ये दोनों ही अवस्थाएं अलग-अलग होती हैं। आकर्षण - आकर्षण एक ऐसी अवस्था जिसमें कोई व्यक्ति किसी दूसरे के प्रति उसकी किसी शारीरिक - जैसेः रंग-रूप, आंख, चेहरा आदि अंगों पर आकर्षित होता है। मानसिक - जैसेः कला, युक्ति, तर्क या कूट शक्ति आदि। व्यवहारिक - जैसेः बर्ताव, बातचीत का ढंग, आदर-सम्मान, अनुशासन आदि। शैक्षिक - जैसेः कलाकारी, पढ़ाई या अन्य किसी विषय में उपलब्धि आदि चीजों की तरफ आकर्षित होता है, आकर्षण कहलाता है। यह सदैव सीमित होता है और कुछ हद तक ही बढ़ सकता है।यह सच्चा व स्थाई नहीं होता। यदि किसी कारणवश आकर्षक व्यक्ति की प्राप्ति नहीं हो पाती है तो आप उसके विषय में गलत विचार करने लगते हैं और लोगों के सामने उनकी बुराई भी करते हैं। यदि आपका बर्ताव भी ऐसा ही है तो समझ लें कि वह आकर्षण ही है, और कुछ नहीं। आकर्षण संवेगिक उद्दीपनों के बहाव में आकर व्यक्ति द्वारा जल्दबाजी में लिया गया कोई निर्णय है। प्यार - वैसे तो प्यार की शुरुआत हमेशा आकर्षण से ही होती हैं। प्यार वह अवस्था है जिसमें हम किसी व्य...

दो पहलु का मौसम | Do Pahlu Ka Mausam - नज़्म/Nazm

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यह दस्तूर है कुदरत का, एक सिक्के के दो पहलू कहीं जान देती है गोली, कहीं जान लेती है गोली ऐसा नहीं, हर वक़्त हमारी किस्मत साथ दे कहीं बात बनाती है बोली, कहीं बात बिगाड़ती है बोली बंद आंखों से, नक़ाबी दुनिया का भरोसा ना करो कहीं राज़दार हैं हमजोली, कहीं गद्दार है हमजोली इन दिनों, दुनिया का अजब रिवाज़ है कहीं बहन है मुंह बोली, कहीं बीवी है मुंह बोली अब तो खुदा से भी, मंगतो को डर नहीं लगता कहीं इंसाफ़ की है झोली, कहीं पाप की है झोली मौसम बदल चुके 'सत्यं', बेफ़िक्र ना मिला करो कहीं आराम है कोली, कहीं बदनाम है कोली ____________________________________ वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/kdSpR3uzQR8

मुर्दे के लफ्ज़ | Murde Ke Lafz - नज़्म/Nazm

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मैं थक के सोया ही था सुकून से दो-पल वो सब मुझको उठाने चले आए । ज़िंदगी रहते तो मेरा हाल तक ना पूछा  मैं मिट्टी हो गया जब गले लगाने चले आए । आज रो रहे हैं सुबक कर लिपटकर गले मेरे लोग कुछ अपने, पराए चले आए । मौत ने मुझको सबका अज़ीज़ बना दिया दुश्मन भी दो आंसू आंखों में लिए आए । तरस रही थी आंखें जिन्हें देखने को आंखें बंद होने पर मौत के बहाने चले आए । बिखर रहा था घरौंदा मेरा तिनके-तिनके रुख़सत करने कम-से-कम सारे चले आए । जागती आंखों से कुछ साफ़ दिखाई ना दिया कफ़न ओढ़कर ही सोए अज़ब नज़ारें चले आए । अब वो याद करें या भुलाए इन बातों में क्या रखा छोड़कर हम सारे अफ़साने चले आए । ______________________________________ वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/GLtsw0L2cGg

मैं परेशां बड़ा हूं | Kyon Juda Hue - ग़ज़ल

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बिछड़ा था तुमसे जहां उसी मोड़ पे खड़ा हूं कैसे चलूं तेरे बगैर, मैं परेशां बड़ा हूं जहां नज़र को चुराया था तूने मेरी नज़र से बचाया था दामन ज़माने के डर से मैं उसी मोड़ पे निग़ाहें गाड़े खड़ा हूं कैसे चलूं तेरे बगैर, मैं परेशां बड़ा हूं ख्वाहिश भी ना रही कोई तेरे बगै़र दिल बोझिल रहता है शामो-सहर मैं आज भी अपने वादों पे अड़ा हूं कैसे चलूं तेरे बगैर, मैं परेशां बड़ा हूं आंखें भी थकने लगी राह में तेरी मोहब्बत चाहती हैं अब पनाह तेरी आओगी इसी तमन्ना के सहारे खड़ा हूं कैसे चलूं तेरे बगैर, मैं परेशान बड़ा हूं शक है तुम मगरूर हो गए, दिल गवाही नहीं देता ज़ालिम कहता है बेवफ़ा का दर्जा नहीं देता तेरी सारी गलतियां भुलाए खड़ा हूं कैसे चलूं तेरे बगैर, मैं परेशां बड़ा हूं ______________________________ वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/RBNP8Gk33NU

ए बेवफा | E Bewafa (ग़ज़ल)

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कल तक जो मेरे दिल को कहता रहा ठिकाना आज इस जगह को सुनसान मानता है बेखबर हूं उनको क्यों नफरत सी हो गई वो दूर रहने का मुझसे एहसान मांगता है कल तक जो मुझे खुद की पहचान कहता था वही अब मुझसे मेरी पहचान मांगता है वो भी तो उल्फ़त में बराबर का था शरीक़ फिर क्यों हरशख़्स उन्हें नादान मानता है तोहीन मेरी खुलकर सरेआम जिसने की हर कोई उन्हें दिल का मेहमान मानता है तोहमत भी बेशुमार लगाई हैं, बेझिझक जिस वज़ह से हर कोई मुझे बदनाम मानता है कैसे सुबूत दूं अब अपनी बेगुनाही का हमराज भी अब मुझको अनजान मानता है एक दोस्त को ही फकत क्यों कह दूं फ़रेबी अब तो सारा ज़माना मुझको अजनबी मानता है _________________________ वी डियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/8T3q_A-r5Cs

ऐसा काम न कर - ग़ज़ल

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आगाज तो कर रास्ता-ए-मंजिल पे किसी का साथ आने का इंतजार ना कर ना रास्ते में सता सके आंच यादों की बेइन्तहां तू किसी से प्यार ना कर किसी भी मोड़ पे तेरे काम आ सकता है किसी शख्स से भरी दुनिया में तकरार ना कर तू याद आए तो मुंह से बद-दुआ निकले इस जहां में अदा ऐसा किरदार ना कर इक दिन बुला लेता है खुदा सबको पास उनके दूर चले जाने का गुबार ना कर होती है वैसे तो सच्चाई बहुत कड़वी कुबूल करने से इसको इंकार ना कर तू हो जाए बेबस उनके करीब जाने को अपने दिल को इस कदर बेकरार ना कर तेरे नसीब में होगी तो मिल ही जाएगी उनकी मोहब्बत से खुद को बेजार ना कर करके जफ़ा, वफा के बदले अपनी नज़़र में खुद को शर्मसार ना कर खुदा भी जिसे ना माफ कर सके खता ऐसी 'सत्यं' हर बार ना कर _______________________ वी डियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/Zzlep7C0bpw

नामुमकिन है आसान नहीं

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मिले प्यार तुम्हारा जीवन में कोई इसके सिवा अरमान नहीं तुम्हें भूल जाना मेरी प्रिय नामुमकिन है, आसान नहीं तुमसे जुदा हुआ जब से मेरी रही जान में जान नहीं एक तेरी कमी से बरसों से मेरे होठों पर मुस्कान नहीं मैंने देखा जंमाने को दूर तलक कोई तुम-सा मिला इंसान नहीं मुझे जीना सिखाया पल-पल को क्यों कह दूं तुम्हें भगवान नहीं तू देख ले आकर मेरे सनम बिन तेरे, मेरी पहचान नहीं तुझसे बिछड़कर जीना जैसे  बेबसी है मेरी, अरमान नहीं

इतना काम तो कर - ग़ज़ल

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तू देखकर चेहरा ना पहचानेगी मुझको कभी दिल के करीब आ बात तो कर तू साथ दे ना दे मेरा कोई बात नहीं पर मेरी मोहब्बत का ऐतबार तो कर प्यार में हद कर दी आपने चुप रहकर चंद सवाले-हाल मेरे साथ तो कर मायूस ना हो जाऊं इस खामोशी पे तुम्हारी कुछ मेरी मोहब्बत का हिसाब तो कर संगदिल कहे तुम्हें जमाना मंजूर नहीं इस कदर रुसवाई मोहब्बत की सरेआम ना कर डरता हूं तुझे दूर करते आंखों से कुछ सफर तय मेरे साथ तो कर हो जाएंगी सब आरजू पूरी मेरी चंद पल मुझसे तू प्यार तो कर थाम लेंगे उम्रभर ये विश्वास दिलाते हैं हिम्मत करके आगे अपना हाथ तो कर _________________________ वीडियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/y8urZEaeBUw

तुम्हें दिल में बसाया तो जाना है - कविता

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कितनी हंसी है यह जिंदगी तुम्हें दिल में बसाया तो जाना है कैसे कहूं मेरी प्रिय तुम्हें क्या कुछ मैंने माना है तुम्हें क्या कुछ मैंने मना है ... ... ... हर पल तुम्हें चाहा पूजा ना कोई दूसरा दिल में लाना लाना है हासिल करने की ख्वाहिश है जिसे बस तू ही तो वो खजाना है तुम्हें क्या कुछ मैंने मना है ... ... ... कोई देखे तुम्हे देर तक तो मुमकिन मेरा जल जाना है कोई बात भी करे तुमसे तो मेरे बस में नहीं सह पाना है तुम्हें क्या कुछ मैंने मना है ... ... ... अपनी सारी खुशियों को अब तुम पर ही लुटाना है मेरी आरजू है यह बाकी तुम्हें जिंदगी में लाना है तुम्हें क्या कुछ मैंने मना है ... ... ...

मुस्कुराती कोई कली हो तुम - कविता

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हर कोई तुम में खो जाता है प्यार की जैसे छवि हो तुम खुशबू सी बिखरती है बातों से मुस्कुराती कोई कली हो तुम प्यार सी प्यारी हो प्यार से मिलकर बनी हो तुम क्षण भर में मन लुभाती हो स्वर्ग कोई परी हो तुम यूं दिल में घर कर जाती हो सदा से जैसे आवासी हो तुम भीग जाते हैं सबके मन जब हंसी अपनी बरसाती हो तुम सब बेबस से हो जाते हैं क्या जादू कर जाती हो तुम कितना भी कोई संभाले खुद को बस आकर्षित कर जाती हो तुम खुशबू सी बिखरती है बातों से मुस्कुराती कोई कली हो तुम

तू ही बता क्या यार कहूं? - कविता

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हंसती कली या कोई परी फूलों की महक या प्यार कहूं हर शब्द मुझे छोटा सा लगा अब तू ही बता क्या यार कहूं और भी बहुत से चेहरों को देखा क्या तुम्हें ही सारा संसार कहूं हर तरफ नज़र आती हो मुझे उड़ती हवा या बहार कहूं खुशी की तरह बसी हो मन में क्यों खुद को फिर मैं उदास हूं तुम्हें देखकर खुश होता है दिल क्या मन में बसा विश्वास कहूं? नित-दिन मेरे मन-आंगन में आती हो तुम्हें स्वप्न या सलोना सा अहसास कहूं बढ़ती जाती हो पल-पल जो क्या इन आंखों की प्यास कहूं नाराज ना हो जाना मुझसे तुम कहो तो मैं एक बात कहूं खूबसूरत बहुत हो बातों से रंग-रूप में बस इंसान कहूं

प्रिय मेरा अरमान हो तुम - कविता

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मासूम चेहरा नीची निगाहें प्यार की पहचान हो तुम बरसों से जगा है जो दिल में प्रिय मेरा अरमान हो तुम जब प्यार तुम्हारे भी दिल में है क्यों मुझसे फिर अनजान हो तुम नज़र चुराती हो ऐसे जैसे कोई नादान हो तुम एक तुम्हें ही दिल में बसाया है हां इस दिल की मेहमान हो तुम जिसे देख सभी खो जाते हैं वही प्यारी सी मुस्कान हो तुम खुदा ने किया था जो एक रोज़  मुझपे वही एहसान हो तुम जिसे ख्वाहिश है पा लेने की मेरा खोया हुआ जहान हो तुम

सिद्धूराम पहलवान - एक व्यंग

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सिद्धू जी का मशहूर था पूरे गांव में नाम पढ़ना-लिखना बेकार बस था पहलवानी का काम। बार-बार एक ही कक्षा में फेल हो जाते परीक्षा के समय भी अखाड़े में दिन बिताते। चाहते खुद को अत्यधिक मजबूत बनाना उनका सपना था पहलवानी में नाम कमाना। एक बार ‘सत्यं‘जी इसका कारण पूछ बैठे तो- बड़े ही रोब-दाब से बुलंद आवाज में ऐठे- पहलवान हूं, फिर भी नहीं कोई महिला साथी मिलता है दिल को सुकून, जब लड़कियां हाथ हिलाती। कुश्ती के समय भी मैं उनसे नजरे नहीं हटाता और उनको देखने के चक्कर में बार-बार चित हो जाता। ‘सत्यं' जी ने समझाते हुए, अरे छोड़ो! ये सब काम। पहलवानी के नाम पर खुद हो जाते हो बदनाम। पहलवानी से अच्छा, अंग्रेजी सीखी जाती। तुम्हारे चार अक्षर बोलने पर लड़कियां दौड़ी चली आती। सिद्धू ने सोचा यह नुस्खा आजमाऊंगा, पांच-छह महीनों में अंग्रेजी सीख जाऊंगा। लेकिन पढ़ने-लिखने में थे उनके पहले से ही टोटे किया करते थे याद अध्याय को रोते-रोते। पांच-छह महीनों में ‘येस-नो‘ पहचान गए और साहब अपने मन में सोचा पूरी अंग्रेजी जान गए। एक बार थे वे एक शादी में जाए हुए उस शादी में थे कुछ अंग्रेज आए हुए। अंग्रेजन ने हाथ मिलाकर पूछा सिद्धू...

अंजान मुहब्बत (एक दिलचस्प कहानी)

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एक लड़का जो कि एक लड़की से अत्याधिक प्रेम करता था मग़र कभी भी उसके सामने कह नहीं पाया। उसके लिए एक मात्र सहारा थी वो, खुद से भी ज्यादा उसे प्रेम करता था। लड़की उससे हमेशा ही उससे दूरी करती और नज़रे झुकाकर बेरूख़ी करती थी। जिसे वह सहन नहीं कर पाता था और खुद को धिक्कारता था। वह लड़की को अपनी बेबसी समझता था और जानते हुए कि वह शायद कभी भी उसे पा नहीं सकेगा तो भी उसे बेइंतहां प्रेम करता था। एक दिन अचानक उस लड़के को ख़बर मिलती है कि उस लड़की की सड़क पार करते समय एक गाड़ी से दुर्घटना हो गई है और वह अस्पताल में भर्ती है। वह ख़बर सुनते ही चौंक पड़ा और निर्देशित अस्पताल के लिए दौड़ता है। अस्पताल पहुंचकर वह देखता है कि लड़की मूर्छित दशा में बिस्तर पर लेटी हुई है। वह डॉक्टर की आज्ञा से उसके कमरे में प्रवेश करता है और तो पाता है कि दुर्घटना में उसका दाईं तरफ से चेहरा काफि बुरी तरह से जख्मी हो गया है। उसे यह देखकर काफि दुख होता है मानो उसकी जान ही निकल गयी। लेकिन वह यह सब देखकर स्वयं को नहीं बदलता और कल के जैसी ही उसे प्रेम करता है और अस्पताल से चला जाता है। अब वह लड़की का ठीक होने तक बेक़रारी से इं...

प्यार को त्याग भी कहते है - कविता

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एहसास प्रिय मेरे मन को जिस पल तुम्हारा होता है मन सोचता रह जाता है बहुत दूर कहीं खो जाता है मन करे गगन को उड़ जाऊं और बादलों के घर जाऊं मैं थाम-थाम के राहों में मदमस्त पवन से बतलाऊं ए बहारों, दिशाओं कहों तुम्हें पहले तो ना देखा संवरते हुए या खींचता है तुमको भी कोई प्रेम के स्पर्श इशारों से क्यों मन चाहता है छूना अज्ञात बातें भी करना निहारना अखंड समय तक और हृदय में छिपाकर रखना क्या है ये? क्यों है ये? और क्यों मैं बहक-सा जाता हूं अनजान कशिश होती हैं पर कुछ भी समझ ना पाता हूं सारे संजोय स्वप्न मेरे एक पल में अधूरे लगते हैं जब याद कभी आ जाता है कि "प्यार को त्याग भी कहते है"

जी चाहता है... - Ghazal

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हो ना जाऊं दूर तुझसे ए मेरे सनम सांस बनके तुझमें समा जाने को जी चाहता है तेरी दूरियां सही जाने की हिम्मत नहीं मुझमें बनके लहू तेरी रगों में बह जाने को जी चाहता है एक मेरे सिवा ना आए तुझे कोई नज़र हर-सू कुछ इस कदर तेरे दिल में उतर जाने को जी चाहता है हर ख़्वाहिश ग़ुम जाती है तेरा दीदार होते ही बनाके ख़ुदा सज़दा तुझे किये जाने को जी चाहता है कभी देख ले तू मेरा इम्तिहान लेकर तेरे लिए हद से गुजर जाने को जी चाहता है मुझे ज़िंदगी ने पल-पल रुलाया है बहुत तेरा साथ पा के हंसते जाने को जी चाहता है तू भी तो देख एक बार मोहब्बत करके मुझसे तुझे जिंदगी में अपनी लाने को जी चाहता है ए सनम अब तू भी तो कोई जवाब दे क्या अभी तुझे मेरा दिल तोड़ जाने का जी चाहता है?

काश! ऐसा होता। - कविता

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एक प्रातः ऐसी थी जब समस्त दिशाएँ महकी थी वातावरण शुद्ध, शीतल, सुगंधयुक्त हरयाली बिखरी दिखायी देती थी। मैं अपने-पन में प्रसन्न, मग्न मस्त तरंगों में बहा जा रहा था चला जा रहा था बढ़ता ना जाने कहाँ हवाओं के परों पर खिलखिला रहा था। चौंक उठा उस दृश्य को देख जब मेरे सामन कोई आ ठहरा था दृष्टि चूम भी ना पायी मुखमंडल को उसके बिखरें काले कैश का पहरा था। मुझे देखा मुस्कुराकर, दूर चलने लगी आत्मा को भी मेरी छलने लगी मेरे मन की जिज्ञासा तीव्र बढ़ने लगी पूछ बैठा ‘तुम अप्सरा हो या परी’? मौन साधे सुकोमल होठ ना उत्तर में हिल पायें उठते-झुकते तिरछे नैन बस निरंतर उत्तेजित करते जायें। जब हुई उनकी कृपा मुझपे मन के विचार सारे खो गये चकित ही रह गया स्वयं में मानो स्वर्ग के दर्शन हो गये। न्यौछावर हो चला एक क्षण में मैंने स्वयं को जैसे खो दिया उनकी लुभाती कलाओं ने जब प्रेम का संदेश दिया। उत्सुक हो ज्यो ही मैं आगे बढ़ा तभी गाल पर कसकर एक थप्पड़ पड़ा सुबह-सवेरेे माताजी को देखा सामने खड़ा वो प्रातःकालीन स्वप्न मुझें बहुत मेहंगा पड़ा

लहराती पतंग - कविता

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उड़ती, लहराती, बलखाती पतंग हवाओं के परों पर खिलखिलाती पतंग भुलाकर दिल से दुख और ग़म चली है गगन को लेकर मन में उमंग उठती-झुकती हृदय में लिए तरंग हवाओं के -------------------------------- बहती पवन में यूं करती उधम् चंचल गौरी जैसे पिया के संग रास-रचाती थिरकती बनके नृतक हवाओं के -------------------------------- धागे संग बंधी यूं हो मंडप में दुल्हन लेती फेरे मिलाकर क़दम से क़दम खुशी के बिखरे हैं चहो-ओर नवरंग हवाओं के -------------------------------- बिताना चाहती है कुछ क्षण खुद के संग हो गई घनी देर करते प्रेम-प्रसंग जाना चाहती हो दूर होकर जैसे पिया से तंग हवाओं के --------------------------------

तुम भी मुझको याद करोगी - कविता

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बेशक आज मुंह मोड़ो अपना मिलने की फ़रियाद करोगी। दिल में बसा है प्यार तुम्हारा एक दिन यह स्वीकार करोगी। हां तुम भी -------------------------- जिस तरह पल-पल मैं मरता हूं ग़म में तुम भी याद जलोगी। सूरत ना मेरी देख सकोगी बेबस होकर हाथ मलोगी। हां तुम भी -------------------------- प्यार को मेरे समझोगी जिस दिन हाज़िर खुद की जान करोगी। खुद ही खुद में मर जाओगी जिस दिन मुझे एहसास करोगी। हां तुम भी -------------------------- जिस दिन लगन बेक़रार करेगी दीदार मेरा कई बार करोगी। पलभर भी जुदाई ना भाएगी तुमको आंखों में बसाकर प्यार करोगी हां तुम भी -------------------------- ______________________________________ वी डियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/XniR2DaNNHg