Sher O Shayari
गुनाहों का सूरज निकाला जा रहा है जनाज़ा बेबसी का निकाला जा रहा है ज़माना जिसके नाम से हमें जानता है उसी दौलत को बस निकाला जा रहा है उजाले कफ़न ओढ़कर सोने लगे सहारे सिरों को झुका रोने लगे जहां देखो मातम है छाया हर तरफ फ़रिश्ते ख़ुदा की मौत पर रोने लगे